उपमंडल स्थित पवित्र कालेश्वर महादेव तीर्थ स्थल का हिंदू धर्म ग्रंथों में बहुत महत्व बताया गया है। यहां के पंचतीर्थी सरोवर में स्नान करने के बाद जो व्यक्ति यहां स्थित कालेश्वर महादेव के रूप में भगवान शिव के दर्शन करते हैं, उन्हें पंच तीर्थो के भ्रमण एवं दर्शनों का फल प्राप्त हो जाता है।
दिवंगत की अस्थियों के विसर्जन यहां की पवित्र धरा से बहने वाली पवित्र ब्यास नदी में करने से हरिद्वार से अधिक फल मिलता है। हिंदू मान्यता के अनुसार, सतयुग में भगवान राम ने भगवान भोलनाथ को खुश करने के लिए भगवान के कालेश्वर महादेव की इसी स्थान पर पूजा की थी।
अज्ञात काल के दौरान जब पांडव यहां रह रहे थे तो उनकी माता कुंती ने अपने बेटों से पांच तीर्थो के दर्शन करके वहां स्नान करने की जिद की थी। माता की इस जिद के बावजूद अज्ञात वास के दौरान तीर्थ स्थलों की यात्रा पकड़े जाने के डर से पांडव नहीं कर सकते थे। इसलिए उन्होंने अपनी माता कुंती के लिए यही पांच तीर्थो के बराबर पुण्य का फल प्राप्त करवाने हेतु भगवान श्रीकृष्ण की सहायता से यहां पांच तीर्थो का जल ले आने का दुर्लभ कार्य किया था।
आज भी यह पांच तीर्थो का जल उसी प्रकार इस जगह पर प्रकट होकर पंचतीर्थी नामक सरोवर में एकत्र होता रहता है। भगवान श्री कृष्ण के आशीर्वाद से इस जल से स्नान कर कालेश्वर महादेव रूपी भगवान भोलेनाथ के दर्शन करने से पांच तीर्थो के भ्रमण का पुण्य प्राप्त हो जाता है। इसी के चलते इस तीर्थस्थल को पवित्र हिंदू धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, हरिद्वार से जौं भर ऊंचा तीर्थस्थल बताया गया है। अस्थियों का यहां विसर्जन करने से हरिद्वार से ऊंचा फल प्राप्त होता है।