यह पहला मौका है, जब सावन में भगवान शिव 11वें ज्योतिर्लिग केदारनाथ धाम में जलाभिषेक से वंचित रह जाएंगे। हालांकि, तबाही के बाद भगवान शिव को उनके शीतकालीन प्रवास ऊखीमठ स्थित ओंकारेश्वर मंदिर में प्रतिष्ठित कर दिया गया है। इस सावन केदारनाथ की परंपरा के अनुसार ओंकारेश्वर में ही बाबा का विधि-विधान पूर्वक जलाभिषेक होगा।
सावन की घटाएं घिरते ही हर तरफ उल्लास छा जाता है। शिव और सावन एक-दूसरे से एकाकार हो उठते हैं। ऐसे में इस हिमालयी तीर्थ में ज्योतिर्लिग के जलाभिषेक का अपना ही महत्व है, लेकिन विडंबना देखिए कि इस बार तबाही के चलते केदारनाथ धाम पहुंचने के सारे रास्ते बंद हैं। 16-17 जून की जलप्रलय ने वहां जीवन के सारे निशान मिटा दिए। इस बार वहां सावन की घटाएं तो होंगी, लेकिन वह उल्लास नहीं होगा। केदारधाम ही क्या, पूरी केदारघाटी में इस बार सावन के आने का अहसास तक नहीं है। घाटी के सभी प्राचीन शिवालय या तो मंदाकिनी की लहरों में समा गए अथवा संपर्क खत्म होने के कारण लोगों की पहुंच से दूर हो गए हैं। केदारनाथ धाम तो का संपर्क तो पूरी तरह कटा हुआ है। स्वयं बाबा केदार भी केदारधाम से ओंकारेश्वर धाम के लिए प्रस्थान कर गए। इस सावन यहीं उनका वहीं अभिषेक होगा। केदारनाथ धाम के रावल भीमाशंकर लिंग ने बताया, 'केदारनाथ की परंपरा के अनुसार ओंकारेश्वर में भगवान की पूजा हो रही है। सावन में यहीं उनका अभिषेक भी होगा। केदारनाथ धाम की शुद्धि के बाद फिर वहीं उनकी पूजा शुरू हो जाएगी।'
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