घर में अवश्य लगाएं तुलसी का पौधा

यन्मूले सर्व तीर्थानि पत्रग्रे सर्व देवता।
यन्मध्ये सर्व वेदाश्च तुलसी तां नमाम्यहम।।
 
मैं उस तुलसी को नमस्कार करता हूँ जिसके मूल में सभी तीर्थ स्थान हैं, शिखर पर सभी देवी - देवतओं का निवास है और जिसके मध्य में सभी वेद भगवान रहते हैं। बहुत से भारतीय घरों में आगे वाले, पीछे वाले अथवा बीच वाले आगंन में एक तुलसी पीठ, तुलसी चबुतरा, तुलसी-चौरा होता है। जिसमें तुलसी का एक पौधा लगा रहता है।

वर्तमान समय में हिंदू घरों में ही नहीं अन्य धर्मों के लोग भी तुलसी का पौधा अपने घर में लगा कर रखते हैं। सुबह का आरंभ तुलसी पूजन से करना बहुत शुभ होता है। तुलसी पर दीप जलाकर जल व फूल-माला अर्पण करना और इसकी पूजा करके प्रदक्षिणा करना आति शुभ फल प्रदान करता है। तुलसी का डंठल, पते, बीज और उसके तल की मिट्टी आति पवित्र मानी जाती है। विष्णु भगवान व उनके अवतारों की पूजा व भोग तुलसी के पते अर्पित किए बिना अधूरे होते हैं। 
 
तुलसी क्या है? 
इस संर्दभ में संस्कृत में बताया गया है-
 
तुलसी नास्ति अथैव तुलसी
भावार्थ - जो गुणों में बेजोड़ है, अतुलनीय है वही तुलसी है।
 
तुलसी से अधिक पवित्र कोई अन्य पौधा नहीं है। यह एक ऐसा पदार्थ है जो पूजा में एक बार प्रयुक्त होने के उपरांत फिर से धो कर प्रयोग में लाया जाता है। इसको आत्मशुद्धि करने वाला माना जाता है। प्राचीन कथा के अनुसार, तुलसी एक दिव्य पुरूष शंखचूड़ की निष्ठावान पत्नी थी, जिससे छल करके भगवान ने पाप कर्म करवाया था। अत: उसने इस अपराध के फलस्वरूप विष्णु जी को शालीग्राम यानि पत्थर बनने का शाप दे दिया।

जब भगवान विष्णु को स्वंय के किए अपराध पर पछतावा हुआ तो उन्होंने उस स्त्री को तुलसी का पूजनीय पौधा बना दिया और उसे अपने मस्तक की शोभा बनने का सौभाग्य दिया। तुलसी भगवान विष्णु की पत्नी लक्ष्मी का भी प्रतीक है। सदाचारी और सुखी पारिवारिक जीवन बिताने की इच्छा रखने वाले जातकों को तुलसी पूजन शीघ्र फल देता है। तुलसी की महिमा बताते हुए भगवान शिव नारदजी से कहते हैं -

पत्रं पुष्पं फलं मूलं शाखा त्वक् स्कन्धसंज्ञितम्।
तुलसीसंभवं सर्वं पावनं मृत्तिकादिकम्।।

‘तुलसी का पत्ता, फूल, फल, मूल, शाखा, छाल, तना और मिट्टी आदि सभी पावन हैं।’
(पद्मपुराण, उत्तर खंड: 24.2)

जहाँ तुलसी का समुदाय हो, वहाँ किया हुआ पिण्डदान आदि पितरों के लिए अक्षय होता है।

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