शिव को देवो के देव यानी महादेव कहा जाता है। सावन का महीना शुरू होते ही भारत के हर क्षेत्र में हर- हर महादेव और बोल-बम की गूँज सुनाई देती है। श्रावण सोमवार पर तो हर शिवालय में शिव जी का विशेष रूप से श्रृंगार किया जाता है।
इसका कारण यही है कि सावन के महीने में शिव व पार्वती जी के पूजन को हमारे हिन्दू धर्म ग्रंथों में बहुत अधिक महत्व दिया गया है। इस माह में शिव के पूजन को विशेष फलदायी माना गया है। इसका कारण यह है कि हिन्दू धर्म की पौराणिक मान्यता के अनुसार सावन महीने को शंकर का महीना माना जाता है।
इस संबंध में एक कथा के अनुसार, जब सनत कुमारों ने महादेव से उन्हें सावन महीना प्रिय होने का कारण पूछा तो महादेव भगवान शिव ने बताया कि जब देवी सती ने अपने पिता दक्ष के घर में योगशक्ति से शरीर त्याग किया था, उससे पहले देवी सती ने मुझको हर जन्म में पति के रूप में पाने का प्रण किया था।
अपने दूसरे जन्म में देवी सती ने पार्वती के नाम से हिमाचल और रानी मैना के घर में पुत्री के रूप में जन्म लिया। पार्वती ने सावन के महीने में निराहार रह कर कठोर व्रत किया और उन्हें प्रसन्न कर विवाह किया, जिसके बाद से ही मेरे लिए यह सावन माह विशेष हो गया। यही कारण है कि सावन के महीने में सुयोग्य वर की प्राप्ति के लिए कुंवारी लड़किया व्रत रखती हैं।
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