बच्चे जब मां के गर्भ से निकलकर पहली बार बाहर की दुनिया को देखते हैं तो रोना शुरू कर देते हैं। इस समय जब बच्चे रोते हैं तो उनके रोने की आवाज ऐसी होती है जैसे वह पूछ रहा हो कहां-कहां। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि धरती पर आने के बाद उसे लगता है कि वह कहां आ गया।
वह परमब्रह्म से कहता है कि हे भगवान मुझे फिर से इस संसार में कहां भेज दिया लेकिन यह ईश्वरीय विधान है कि जो जीवत है उसे एक दिन मरना है और जिसकी मृत्यु हो चुकी है उसे नया शरीर लेकर पुनः पृथ्वी पर आना है। इसी तरह ब्रह्मा का सृष्टि चक्र चलता है।
ब्रह्मा जी द्वारा सृष्टि रचना के क्रम में ही बच्चे का कहां-कहां करके रोने का रहस्य छिपा हुआ है। विष्णु पुराण के अनुसार, सृष्टि रचना के समय का जो वर्णन मिलता है उसके अनुसार ब्रह्मा जी जब अपने समान पुत्र उत्पन्न करने के लिए चिंतन करने लगे तब उनके गोद में नील वर्ण वाला एक बालक प्रकट हुआ।
यह बालक ब्रह्मा जी के गोद से उतरकर रोता हुआ इधर-उधर भागने लगा। ब्रह्मा जी ने उस बालक से पूछा कि तुम क्यों रो रहे हो। प्रश्न के उत्तर में बालक ने कहा कि मैं कहां हूं, कौन हूं, मेरा नाम क्या है। इस पर ब्रह्मा जी ने उसे बताया कि जन्म लेते ही तुमने रोना शुरू कर दिया इसलिए तुम्हारा नाम रूद्र है।
ब्रह्मा जी द्वारा नाम बताने के बाद यह बालक सात बार फिर रोया इसलिए ब्रह्मा जी ने इनके अन्य सात नाम दिये भव, शर्व, ईशान, पशुपति, भीम, उग्र और महादेव। इस तरह रूद्र के यह आठ नाम हुए।
रूद्र से पहले किसी ने उत्पन्न होने के बाद रोना शुरू नहीं किया था। इनके बाद से ही जन्म के बाद बच्चों के रोने का नियम शुरू हुआ। जो बच्चा जन्म लेने के बाद नहीं रोता है उसे चिकित्सक रूलाते हैं। इससे बच्चे की आवाज खुलती है।
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