होली से कैसे जुडी है शिव पार्वती और कामदेव की कथा

होली से कैसे जुडी है शिव पार्वती और कामदेव की कथा

शिव और पार्वती से संबंधित एक कथा के अनुसार, हिमालय पुत्री पार्वती चाहती थीं, कि उनका विवाह भगवान शिव से हो जाये पर शिवजी अपनी तपस्या में लीन थे। तब कामदेव पार्वती की सहायता को आए। उन्होंने पुष्प बाण चलाया और भगवान शिव की तपस्या भंग हो गयी।

शिवजी को बड़ा क्रोध आया और उन्होंने अपनी तीसरी आँख खोल दी। उनके क्रोध की ज्वाला में कामदेव का शरीर भस्म हो गया। फिर शिवजी ने पार्वती को देखा, पार्वती की आराधना सफल हुई और शिवजी ने उन्हें अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार कर लिया। इस कथा के आधार पर होली की आग में वासनात्मक आकर्षण को प्रतीकात्मक रूप से जला कर सच्चे प्रेम की विजय का उत्सव मनाया जाता है।

एक अन्य कथा के अनुसार, कामदेव के भस्म हो जाने पर उनकी पत्नी रति ने विलाप किया और शंकर भगवान से कामदेव को जीवित करने की विनय की। भगवान शिव प्रसन्न हुए और उन्होने कामदेव को पुनर्जीवित कर दिया। यह दिन होली का दिन होता है। आज भी रति के विलाप को लोक संगीत के रुप मे गाया जाता है और चंदन की लकड़ी को अग्निदान किया जाता है ताकि कामदेव को भस्म होने मे पीड़ा ना हो। साथ ही बाद मे कामदेव के जीवित होने की खुशी मे रंगो का त्योहार मनाया जाता है।

Read More Similar Lord Shiva Articles

Copyright © The Lord Shiva. All Rights Reserved.