बाबा कोतेश्वरनाथ मंदिर

State: Bihar
Country: India

बाबा कोतेश्वरनाथ मंदिर

कोटेश्वर नाथ मंदिर, ग्राम मेन, जिला - गया का पुराताताविक प्रतिवेदन
कोटेश्वर नाथ मदिर गया जिला अन्तर्गत मेन ग्राम के पूर्व दिशा में मोरहर नदी के बायीं तट पैर अविस्थित हैं यहाँ पटना - गया राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या - 83  पैर पटना से लगभग 65  की . मी  दक्षिण में अवस्थित मखदुमपुर से सड़क मर्ग दवारा पंहुचा जा सकता हैं जबकि कोटेश्वर नाथ मंदिर मखदुमपुर से 16  की . मी दक्षिण - पशचिम में अबस्थित हैं
मखदुमपुरस्टेशन मध्य - पूर्व रेलवे के पटना - गया रेल खंड पर अवस्थित हैं

कोटेश्वर नाथ मंदिर परिसर : -
यह मंदिर बाहरी रूप से आधुनिक निर्मित प्रतीत होता हैं जो मंदिर स्थापत्य के द्रविड़ शेली का प्रतिरूप हैं परन्तु इसकी आरम्भिक संरचनाये काफी प्राचीन हैं जिसके गर्भगृह एबम सामने के मंडप अभी भी आंशिक रूप में सही हैं
ये संरचनाये ग्रेयेनेटे प्रस्तर एबं ईट से बने हैं जिसे गर्भगृहके प्रवेशद्वार तथा अंतराल एबम स्तम्भ मंडप में देखा जा सकता हैं

प्रवेश द्वार : -
गर्भगृह में प्रवेश के निर्मित बने मुख्य प्रवेश द्वार को ग्रयेनाईट प्रस्तर एबम ईट  से बने हैं जिसके उपरी द्वार शाखा पैर शिव लिंग का लघु प्रतिरूप हैं जो मंदिर मैं ग्राभ्ग्रह के अन्दर शिव लिंग के प्रतिस्थापना होने का संकेत करता हैं प्रवेश द्वार अलंकरण से युक्त हैं जिसका द्वार मैं माना जा सकता हैं प्रवेश द्वार के चौडाई 130 से . मी . जबकि ऊंचाई 140 से . मी . हैं
प्रवेश द्वार के दोनों तरफ ताखें मैं उमा - महेश्वर के सुन्दर मूर्तियाँ  लगी हैं जो काले बेसाल्ट प्रस्तर निर्मित हैं ऐसा लगता हैं के इन मूर्तियों को बाद मैं लगया गया हैं , क्योकि ताखो के पीछे बनी ईटो के संरचनाये परवर्ती काले की प्रतीत होती हैं जो इस तथ्य के और पुष्ठी करता हैं इन मूर्तियों का काल 13 वीं - 14 वीं  शदी माना जा सकता हैं :
गर्भगृह का आन्तरिक माप 225 से . मि. पूर्व  -  पश्चिम तथा 180 से . मि उत्तर - दक्षिण आयताकार स्वरुप  मैं हैं यह चारो और इटों से घिरी दिवार से संरचित हैं जिसे चुना - मुर्खी से प्लास्टर किया गया था इसके तिन दिवार में एक - एक ताख बनी हैं जिसमे  
वर्तमान मैं कोई मूर्ति नहीं हैं इसके छत आन्तरिक रूप से सपाट प्रस्तर खंड से बने प्रतीत होते हैं इसके ईटों के दिवार बाद में होगे जिसके मूल सरंचना समाप्त हो गयी होगी गर्भगृह के सतह वर्तमान में संगमरमर के प्रस्तर फलक से बने हैं .

स्तम्भ मण्डप : -
गर्भगृह के सामने स्तम्भ मण्डप हैं जिसके छत सपाट प्रस्तर फलक से बने हैं इसका आकार आंतरिक तुर पर 490  से . मी . उत्तर - दक्षिण तथा 4 मीटर पूरव  - पश्चिम के छेत्र मैं हैं इस मंडप में चार स्तम्भ खड़े  हैं तथा सभी और आधे स्तम्भ बने हैं इसके प्रवेश करने हेतु 100 से . मी . चौडा द्वार हैं जिसके द्वार शाखा ग्रेयेनाइत प्रस्तर से बने हिं इस मंडप एबम गर्भगृह  का निर्माण मंडप कोई तारतम्यता नहीं हैं , अर्थात ऐसा प्रतीत होता हैं की शिवलिंग एबम स्तम्भ मंडप कोई तारतम्यता नहीं हैं , अर्थात ऐसा परतीत होता हिया के शिवलिंग जो आज गर्भ गृह मैं स्थापित हिं बाद के काल मैं स्थापित किया गया होगा जबकि पूरा स्थापत्य का निर्माण पूर्व मैं ही किया जा चूका होगा जैसे के स्थापत्तिक स्वरुप तथा इसके प्रयूक्त प्रस्तर खंडो के सरंचना से प्रतीत होता हैं

नंदी मंडप : -

इस मंडप का निर्माण आधुनिक काल में किया गया परतीत होता हैं जो की संगमरमर , टाइल्स तथा आर . सी . सी  के बने छत से स्पस्ट हैं परन्तु काले बेसाल्ट प्रस्तर से निर्मित यह नंदी अपने मूल स्थान पर अबस्थित हैं नंदी का आकार 68  से. मी . लम्बा
तथा ऊंचाई 27  से . मी . हैं उपरोक्त संरचनाओ के आभार युजना को देखने से स्पस्ट हैं की ये सभी स्थापत्यिक स्वरुप एक ही धरातल पर प्राम्भिक तौर पैर निर्मित होए होगे . मंदिर के बहार परिचेत मैं पुराने इटों के आकार प्रकार के टुकड़े का पाया जाता तथा प्राकतिक सतह से ऊंचाई होना इस तथ्य के और संकेत करता हैं की सम्भत : गर्भगृह के उपरी हिस्सा शिखरयुकत रहा होगा तथा यहाँ ईटों से निर्मित चाहारदिवारी से घिरा होगा मंदिर के समुख वर्तमान में अबास्थात कूप ( कुआ) भी कोटेश्वर मंदिर के समकालीन परतीत होता हैं

सारांश : -

अन्बेषद के क्रम में मैं ग्राम के चारो तरफ एक ऊँचा जमाब स्पस्ट हैं जहा लाल मरदा के टुकड़े तथा कोटेश्वर नाथ मैं पाया गए ईटों के सामान आकार के कई टुकड़े देखे जा सकते हैं ; अत. मैन ग्राम मैं सम्भत ; 9 बी  - 13 बी शताबदी मैं मनबिय सन्निबेश रहा होगा इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता हैं

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