हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार, हर महीने के कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी कहते हैं और महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायकी चतुर्थी कहा जाता है। पंचांग के अनुसार, चतुर्थी तिथि मंगलवार के दिन पड़ती है तो उस दिन की चतुर्थी को अंगारकी चतुर्थी कहते हैं। इसके अलावा भाद्रपद मास में पड़ने वाली चतुर्थी को गणेश चतुर्थी के नाम से देश भर में धूमधाम से मनाया जाता है। गणेश पुराण में बताया गया है कि, इस दिन भगवान गणेश जी का जन्म हुआ था और इस उपलक्ष्य में गणेश चतुर्थी उत्सव मनाया जाता है।
सावन मास में गणेश चतुर्थी का महत्व इसलिए बहुत खास माना जाता है, क्योंकि सावन का महीना गणेश जी के माता-पिता का प्रिय महीना है। जहां सावन के प्रत्येक सोमवार को शिवजी का व्रत रखा जाता है। तो वहीं प्रत्येक मंगलवार को मंगला गौरी व्रत के रूप में माता पार्वती की पूजा की जाती है। इसके बाद सावन मास के कृष्ण पक्ष की संकष्टी चतुर्थी भी बहुत खास महत्व वाली होती है। हिंदू धर्म में सावन मास में पड़ने वाली चतुर्थी को गजानन चतुर्थी भी कहते हैं।
अंगारकी संकष्टी चतुर्थी व्रत मंगलवार के दिन किया जाता है, इस दिन भगवान गणेश की पूजा के साथ हनुमान जी की पूजा से भक्तों के सभी कष्ट दूर होते हैं। मंगल दोष के साथ ही उनके सभी संकट मिट जाते हैं।
गजानन चतुर्थी का महत्व और पूजा विधि :
मान्यताओं के अनुसार, गजानन चतुर्थी को भगवान गणेश जी की पूजा करने से भगवान शिव भी प्रसन्न होते हैं और उनकी कृपा से भक्तों के मनोरथ पूरे होते हैं। संकष्टी चतुर्थी का व्रत भगवान गणेश को समर्पित होता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, संकष्टी चतुर्थी का व्रत कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को रखा जाता है। संकष्टी चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की पूजा अर्चना होती है। मान्यता है कि इस दिन पूजा पाठ करने से आपकी सभी परेशानियां दूर होती है।
गजानन चतुर्थी के दिन गणेश जी की पूजा करने से मनुष्य के सभी दुख दूर हो जाते हैं। कहते हैं विघ्नहर्ता अपने भक्तों के विघ्न दूर करके उनकी सभी मनोकामानाएं पूरी करते हैं। इस व्रत को करने से घर में सुख- समृद्धि आती है।
गजानन चतुर्थी के दिन सवेरे नित्य कर्मों से निवृत्त होकर पूजा करने के लिए जल में काले तिल डालकर स्नान करें फिर साफ-सुथरे धुले हुए वस्त्र धारण करें। उसके बाद विधि विधान से गणेशजी की पूजा करके व्रत करने का संकल्प लें। लाल रंग के आसन पर गणेशजी की प्रतिमा स्थापित करें और उन्हें धूप, दीप, नैवेद्य, फल, फूल अर्पित करें। इस दिन गणेशजी को लाल सिंदूर से टीका लगाएं और दूर्वा जरूर चढ़ाएं।