शिव का चिर निवास केदारेश्वर धाम

गिरिराज हिमालय की केदार नामक चोटी पर अवस्थित है देश के बारह ज्योतिर्लिगों में सर्वोच्च केदारनाथ धाम। कहते हैं कि समुद्रतल से 11746 फीट की ऊंचाई पर केदारेश्वर ज्योतिर्लिंग के प्राचीन मंदिर का निर्माण पांडवों ने कराया था।
 
पुराणों के अनुसार, केदार महिष अर्थात् भैंसे का पिछला अंग [भाग] है। केदारेश्वर धाम मंदिर की ऊंचाई 80 फीट है, जो एक विशाल चबूतरे पर खड़ा है। मंदिर के निर्माण में भूरे पत्थरों का उपयोग किया गया है। स्कंद पुराण में भगवान शंकर माता पार्वती से कहते हैं, हे प्राणेश्वरी! यह क्षेत्र उतना ही प्राचीन है, जितना कि मैं हूँ। मैंने इसी स्थान पर सृष्टि की रचना के लिए ब्रह्मा के रूप में परब्रह्मत्व को प्राप्त किया, तभी से यह स्थान मेरा चिर-परिचित आवास है। यह केदारखंड मेरा चिरनिवास होने के कारण भूस्वर्ग के समान है।
 
अक्षय तृतीया पर यमुनोत्री एवं गंगोत्री धाम के कपाट खुलने के साथ चारधाम यात्रा प्रारंभ हो जाती है, लेकिन यात्रा की पूर्णता तभी मानी गई है, जब श्रद्धालु भगवान केदारेश्वर के दर्शन कर भगवान बद्रीविशाल के शरणागत हो जाएं। जिसका केदारखंड में उल्लेख भी मिलता है,

अकृत्वा दर्शनम् वैश्वय केदारस्याघनाशिन:, यो गच्छेद् बदरीं तस्य यात्रा निष्फलताम् व्रजेत

अर्थात् बिना केदारनाथ भगवान के दर्शन किए यदि कोई बदरीनाथ क्षेत्र की यात्रा करता है तो उसकी यात्रा व्यर्थ हो जाती है।
 
केदारनाथ धाम का परिचय -
 
केदारनाथ धाम का क्षेत्रफल - तीन वर्ग किमी

मौसम -
ग्रीष्मकाल में मई से अगस्त तक दिन के समय मनोरम व रात में ठंड। अधिकतम तापमान 17.9 व न्यूनतम 5.9 डिग्री सेल्सियस। हालांकि, जून से सितंबर के समय में बरसात होती रहती है, पहाड़ों से चट्टानें टूटकर गिरने का खतरा भी रहता है।

सितंबर से नवंबर में मंदिर के कपाट बंद होने तक तेज सर्दी पड़ती है और श्वांस की बीमारी से पीड़ित एवं हृदय रोगी पैदल जाने का दुस्साहस न करें। ऐसे लोगों को गौरीकुंड से ऑक्सीजन के छोटे सिलेंडर साथ रखने चाहिए, जो वहां आसानी से उपलब्ध हो जाते हैं। दिसंबर से मार्च तक हिमाच्छादित।
 
पहनावा - जून से सितंबर तक हल्के ऊनी वस्त्र। अप्रैल-मई व अक्टूबर-नवंबर में भारी ऊनी वस्त्र।
 
यात्री सुविधा - सभी प्रमुख स्थानों पर श्री बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के यात्री विश्राम गृह, जीएमवीएन के विश्राम गृह, निजी विश्राम गृह, धर्मशाला में ठहर सकते है।
 
वायुमार्ग - देहरादून स्थित जौलीग्रांट हवाई अड्डा। यहां से केदारनाथ की दूरी 251 किमी है।
 
रेल मार्ग - अंतिम रेलवे स्टेशन ऋषिकेश से दूरी 234 किमी व कोटद्वार स्थित अंतिम रेलवे स्टेशन से 260 किमी।
 
सड़क मार्ग - ऋषिकेश से गौरीकुंड तक 238 किमी की दूरी सड़क मार्ग से तय कर गौरीकुंड से 14 किमी की पैदल चढ़ाई तय करनी पड़ती है।
 
(नोट- केदारनाथ के लिए अगस्त्यमुनि और फाटा से हेलीकॉप्टर सेवा भी उपलब्ध है।)

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