रुद्राक्ष का महत्व

रुद्राक्ष का महत्व

सनातन धर्म में रुद्राक्ष का आध्यात्मिक और औषधीय महत्व है, इससे वातावरण में शुद्धता आती है। प्रत्येक धार्मिक अनुष्ठान और शुभ कार्यो में रुद्राक्ष का प्रयोग किया जाता है। वैज्ञानिकों ने भी प्रयोगशाला में जांच के बाद सिद्ध किया है कि इसे धारण करने से शरीर स्वस्थ और मन शांत रहता है। रुद्राक्ष शब्द का अर्थ है महादेव का नेत्र। इसकी उत्पत्ति और नामकरण के पीछे कई कथाएं प्रचलित है।
 
कहा जाता है कि त्रिपुरासुर वध के समय रुद्रावतार धारण किए महादेव की आंखों से बहने वाला जल रुद्राक्ष के रूप में पृथ्वी पर अवतरित हुआ। सती के देह त्याग के उपरांत महादेव ने रौद्र रूप धारण किया और सती के शव को कंधे पर लेकर तीनों लोकों में विचरण करने लगे, जिससे तीनों लोकों में हाहाकार मच गया।

इस विनाश को रोकने के लिए कमल नयन ने अपना सुदर्शन चक्र चलाया, जिससे सती के शरीर के कई टुकड़े हो गए और जहाँ जहाँ वो गिरे वहां-वहां शक्तिपीठ की स्थापना हुई। जब केवल माता सती के शरीर की केवल भस्म ही शेष रह गयी तो महादेव फूट-फूट कर रोने लगे। इस समय भगवान शिव के आंसुओं से रुद्राक्ष की उत्पत्ति हुई।
 
ये एक वनस्पति के रूप रुद्राक्ष देखने में बेर जैसे फल लगते है, जो हिमालय की तराई में पाए जाते है। रुद्राक्ष को रातभर पानी में भिगोकर सुबह खाली पेट इसका पानी पीना हृदय रोगियों के लिए संजिवनी बूटी के समान है। रुद्राक्ष विभिन्न प्रकार के होते है 1 से लेकर 35 मुंह तक के सभी रुद्राक्षों का अपना-अपना महत्व है। गौरी-शंकर नामक संयुक्त रुद्राक्ष, पैंतीस मुखी एवं एकमुखी रुद्राक्ष प्राप्त होना र्दुलभ है।

ऐसा कहा जाता है कि जितना पुराना रुद्राक्ष होगा उतना ही अधिक प्रभावशाली होगा। एकमुखी रुद्राक्ष यह आंख, नाक, कान और गले संबंधी रोगों को दूर करने में सहायक होता है। द्विमुखी रुद्राक्ष पाचन तंत्र संबंधी शिकायते दूर करता है। यह दिमागी  शांति, धैर्य और सामाजिक दबदबे में वृद्धि करता है।

पंचमुखी रुद्राक्ष पंच ब्रह्म तत्व का प्रतीक माना जाता है। युवा वर्ग के जीवन को सही दिशा देता है, धन और मान-सम्मान दिलाता है, हाई ब्लड प्रैशर को भी कंट्रोल करता है। सप्तमुखी रुद्राक्ष भगवान कार्तिकेय का प्रतीक है तथा इसे धारण करने से आंखों की रोशनी बढ़ती है।

चतुर्मुखी रुद्राक्ष शिक्षा के क्षेत्र में सफलता के लिए, पंचमुखी रुद्राक्ष प्रतिदिन माला जाप के लिए, षड्मुखी रुद्राक्ष पुत्र धन की प्राप्ति के लिए, चतुर्दश एवं पंचदशमुखी रुद्राक्ष महालक्ष्मी की असीम कृपा के लिए और इक्कीस मुखी रुद्राक्ष को ज्ञान का भंडार प्राप्त करने के लिए बहुत शुभ माना जाता है। 

वैसे तो रुद्राक्ष अपने आप में ही बहुत महत्वपूर्ण है मगर इसे विधि-विधान से धारण करने पर अत्यधिक फल देता है। विभिन्न कार्यों के लिए अलग-अलग रुद्राक्ष को उपयोग में लाया जाता है। रुद्राक्ष सिद्धी करना सरल है मगर उसकी सिद्धि बनाए रखना बहुत कठिन है। व्यसनों युक्त कार्य करने से यह प्रभावहीन होने लगता है। माला के रूप में 108 या 32 रुद्राक्षों की माला पहनने का विधान है, कलाई में 27, 54 या 108 रुद्राक्षों की माला पहनी जा सकती है। रुद्र पूजन करते समय रुद्राक्ष अवश्य पहनें, इससे महादेव खुश हो अपनी कृपा करते हैं।

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