नाग पंचमी की पूजा के पीछे कई कथाएं हैं जिसमें से एक काफी प्रचलित है.
एक समय एक किसान था जिसके दो पुत्र तथा एक पुत्री थी. एक दिन जब वह अपने खेत में हल चला रहा था, उसका हल सांप के तीन बच्चों पर से गुजरा और सांप के बच्चों की मौत हो गई. अपने बच्चों की मौत को देख कर उनकी नाग माता को काफी दुख हुआ.. नागिन ने अपने बच्चों की मौत का बदला किसान से लेने का निर्णय किया. एक रात को जब किसान और उसका परिवार सो रहा था, नागिन ने उनके घर में प्रवेश कर गई. उसने किसान, उसकी पत्नी और उसके दो बेटों को डस (काट) लिया. इसके परिणाम स्वरूप सभी की मौत हो गई. किसान की पुत्री को नागिन ने नहीं डसा था जिससे वह जिंदा बच गई. दूसरे दिन सुबह नागिन फिर से किसान के घर में किसान की बेटी को डसने के इरादे से गई. किसान की पुत्री काफी बुद्धिमान थी . उसने नाग माता को प्रसन्न करने के लिए कटोरा भर कर दूध दिया तथा हाथ जोड़कर प्रार्थना की नागिन उसके पिता को अपने प्रिय पुत्रों की मौत के लिए माफ कर दे. उसने नागिन का स्वागत किया और उसके माता-पिता को माफ कर देने की प्रार्थना की. नाग माता इससे काफी प्रसन्न हुई तथा उसने किसान, उसकी पत्नी और उसके दोनों पुत्रों को, जिसे उसने रात को काटा था, जीवन दान दे दिया. इसके अलावा नाग माता ने इस वायदे के साथ यह आशीर्वाद भी दिया कि श्रावण शुक्ल पंचमी को जो महिला सांप की पूजा करेगी उसकी सात पीढ़ी सुरक्षित रहेगी .वह नाग पंचमी का दिन था और तब से सांप दंश से रक्षा के लिए सांपों की पूजा की जाती है.